सूरह अल-फातिहा (आरंभ) سُورَة الفاتحة

सूरह अल-फातिहा क़ुरआन की पहली सूरह है, जो मक्का में अवतरित हुई। इसमें 7 आयतें हैं और यह सबसे महत्वपूर्ण सूरह मानी जाती है, जिसे हर नमाज़ के प्रत्येक रकात में पढ़ा जाता है।

अनुवाद: सूरह अल-फ़ातिहा (प्रारंभ) سُورَة الفاتحة

بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ ١ i

अल्लाह के नाम से जो बड़ा कृपालु और अत्यन्त दयावान हैं। (१)

الْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ ٢ i

प्रशंसा अल्लाह ही के लिए हैं जो सारे संसार का रब हैं (२)

الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ ٣ i

बड़ा कृपालु, अत्यन्त दयावान हैं (३)

مَالِكِ يَوْمِ الدِّينِ ٤ i

बदला दिए जाने के दिन का मालिक हैं (४)

إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَإِيَّاكَ نَسْتَعِينُ ٥ i

हम तेरी बन्दगी करते हैं और तुझी से मदद माँगते हैं (५)

اهْدِنَا الصِّرَاطَ الْمُسْتَقِيمَ ٦ i

हमें सीधे मार्ग पर चला (६)

صِرَاطَ الَّذِينَ أَنْعَمْتَ عَلَيْهِمْ غَيْرِ الْمَغْضُوبِ عَلَيْهِمْ وَلَا الضَّالِّينَ ٧ i

उन लोगों के मार्ग पर जो तेरे कृपापात्र हुए, जो न प्रकोप के भागी हुए और न पथभ्रष्ट (७)