अनुवाद: सूरह अल-क़ारिआ (प्रचंड आघात) سُورَة القارعة
الْقَارِعَةُ ١ i
वह खड़खड़ानेवाली! (१)
مَا الْقَارِعَةُ ٢ i
क्या है वह खड़खड़ानेवाली? (२)
وَمَا أَدْرَاكَ مَا الْقَارِعَةُ ٣ i
और तुम्हें क्या मालूम कि क्या है वह खड़खड़ानेवाली? (३)
يَوْمَ يَكُونُ النَّاسُ كَالْفَرَاشِ الْمَبْثُوثِ ٤ i
जिस दिन लोग बिखरे हुए पतंगों के सदृश हो जाएँगें, (४)
وَتَكُونُ الْجِبَالُ كَالْعِهْنِ الْمَنْفُوشِ ٥ i
और पहाड़ के धुन के हुए रंग-बिरंग के ऊन जैसे हो जाएँगे (५)
فَأَمَّا مَنْ ثَقُلَتْ مَوَازِينُهُ ٦ i
फिर जिस किसी के वज़न भारी होंगे, (६)
فَهُوَ فِي عِيشَةٍ رَاضِيَةٍ ٧ i
वह मनभाते जीवन में रहेगा (७)
وَأَمَّا مَنْ خَفَّتْ مَوَازِينُهُ ٨ i
और रहा वह व्यक्ति जिसके वज़न हलके होंगे, (८)
فَأُمُّهُ هَاوِيَةٌ ٩ i
उसकी माँ होगी गहरा खड्ड (९)
وَمَا أَدْرَاكَ مَا هِيَهْ ١٠ i
और तुम्हें क्या मालूम कि वह क्या है? (१०)
نَارٌ حَامِيَةٌ ١١ i
आग है दहकती हुई (११)