अनुवाद: सूरह अल-बलद (शहर) سُورَة البلد
لَا أُقْسِمُ بِهَٰذَا الْبَلَدِ ١ i
सुनो! मैं क़सम खाता हूँ इस नगर (मक्का) की - (१)
وَأَنْتَ حِلٌّ بِهَٰذَا الْبَلَدِ ٢ i
हाल यह है कि तुम इसी नगर में रह रहे हो - (२)
وَوَالِدٍ وَمَا وَلَدَ ٣ i
और बाप और उसकी सन्तान की, (३)
لَقَدْ خَلَقْنَا الْإِنْسَانَ فِي كَبَدٍ ٤ i
निस्संदेह हमने मनुष्य को पूर्ण मशक़्क़त (अनुकूलता और सन्तुलन) के साथ पैदा किया (४)
أَيَحْسَبُ أَنْ لَنْ يَقْدِرَ عَلَيْهِ أَحَدٌ ٥ i
क्या वह समझता है कि उसपर किसी का बस न चलेगा? (५)
يَقُولُ أَهْلَكْتُ مَالًا لُبَدًا ٦ i
कहता है कि "मैंने ढेरो माल उड़ा दिया।" (६)
أَيَحْسَبُ أَنْ لَمْ يَرَهُ أَحَدٌ ٧ i
क्या वह समझता है कि किसी ने उसे देखा नहीं? (७)
أَلَمْ نَجْعَلْ لَهُ عَيْنَيْنِ ٨ i
क्या हमने उसे नहीं दी दो आँखें, (८)
وَلِسَانًا وَشَفَتَيْنِ ٩ i
और एक ज़बान और दो होंठ? (९)
وَهَدَيْنَاهُ النَّجْدَيْنِ ١٠ i
और क्या ऐसा नहीं है कि हमने दिखाई उसे दो ऊँचाइयाँ? (१०)
فَلَا اقْتَحَمَ الْعَقَبَةَ ١١ i
किन्तु वह तो हुमककर घाटी में से गुजंरा ही नहीं और (न उसने मुक्ति का मार्ग पाया) (११)
وَمَا أَدْرَاكَ مَا الْعَقَبَةُ ١٢ i
और तुम्हें क्या मालूम कि वह घाटी क्या है! (१२)
فَكُّ رَقَبَةٍ ١٣ i
किसी गरदन का छुड़ाना (१३)
أَوْ إِطْعَامٌ فِي يَوْمٍ ذِي مَسْغَبَةٍ ١٤ i
या भूख के दिन खाना खिलाना (१४)
يَتِيمًا ذَا مَقْرَبَةٍ ١٥ i
किसी निकटवर्ती अनाथ को, (१५)
أَوْ مِسْكِينًا ذَا مَتْرَبَةٍ ١٦ i
या धूल-धूसरित मुहताज को; (१६)
ثُمَّ كَانَ مِنَ الَّذِينَ آمَنُوا وَتَوَاصَوْا بِالصَّبْرِ وَتَوَاصَوْا بِالْمَرْحَمَةِ ١٧ i
फिर यह कि वह उन लोगों में से हो जो ईमान लाए और जिन्होंने एक-दूसरे को धैर्य की ताकीद की , और एक-दूसरे को दया की ताकीद की (१७)
أُولَٰئِكَ أَصْحَابُ الْمَيْمَنَةِ ١٨ i
वही लोग है सौभाग्यशाली (१८)
وَالَّذِينَ كَفَرُوا بِآيَاتِنَا هُمْ أَصْحَابُ الْمَشْأَمَةِ ١٩ i
रहे वे लोग जिन्होंने हमारी आयातों का इनकार किया, वे दुर्भाग्यशाली लोग है (१९)
عَلَيْهِمْ نَارٌ مُؤْصَدَةٌ ٢٠ i
उनपर आग होगी, जिसे बन्द कर दिया गया होगा (२०)