अनुवाद: सूरह अद-दुहा (प्रभात का उजाला) سُورَة الضحى
وَالضُّحَىٰ ١ i
साक्षी है चढ़ता दिन, (१)
وَاللَّيْلِ إِذَا سَجَىٰ ٢ i
और रात जबकि उसका सन्नाटा छा जाए (२)
مَا وَدَّعَكَ رَبُّكَ وَمَا قَلَىٰ ٣ i
तुम्हारे रब ने तुम्हें न तो विदा किया और न वह बेज़ार (अप्रसन्न) हुआ (३)
وَلَلْآخِرَةُ خَيْرٌ لَكَ مِنَ الْأُولَىٰ ٤ i
और निश्चय ही बाद में आनेवाली (अवधि) तुम्हारे लिए पहलेवाली से उत्तम है (४)
وَلَسَوْفَ يُعْطِيكَ رَبُّكَ فَتَرْضَىٰ ٥ i
और शीघ्र ही तुम्हारा रब तुम्हें प्रदान करेगा कि तुम प्रसन्न हो जाओगे (५)
أَلَمْ يَجِدْكَ يَتِيمًا فَآوَىٰ ٦ i
क्या ऐसा नहीं कि उसने तुम्हें अनाथ पाया तो ठिकाना दिया? (६)
وَوَجَدَكَ ضَالًّا فَهَدَىٰ ٧ i
और तुम्हें मार्ग से अपरिचित पाया तो मार्ग दिखाया? (७)
وَوَجَدَكَ عَائِلًا فَأَغْنَىٰ ٨ i
और तुम्हें निर्धन पाया तो समृद्ध कर दिया? (८)
فَأَمَّا الْيَتِيمَ فَلَا تَقْهَرْ ٩ i
अतः जो अनाथ हो उसे मत दबाना, (९)
وَأَمَّا السَّائِلَ فَلَا تَنْهَرْ ١٠ i
और जो माँगता हो उसे न झिझकना, (१०)
وَأَمَّا بِنِعْمَةِ رَبِّكَ فَحَدِّثْ ١١ i
और जो तुम्हें रब की अनुकम्पा है, उसे बयान करते रहो (११)