अनुवाद: सूरह अन-नस्र (सहायता / विजय) سُورَة النصر
إِذَا جَاءَ نَصْرُ اللَّهِ وَالْفَتْحُ ١ i
जब अल्लाह की सहायता आ जाए और विजय प्राप्त हो, (१)
وَرَأَيْتَ النَّاسَ يَدْخُلُونَ فِي دِينِ اللَّهِ أَفْوَاجًا ٢ i
और तुम लोगों को देखो कि वे अल्लाह के दीन (धर्म) में गिरोह के गिरोह प्रवेश कर रहे है, (२)
فَسَبِّحْ بِحَمْدِ رَبِّكَ وَاسْتَغْفِرْهُ ۚ إِنَّهُ كَانَ تَوَّابًا ٣ i
तो अपने रब की प्रशंसा करो और उससे क्षमा चाहो। निस्संदेह वह बड़ा तौबा क़बूल करनेवाला है (३)