सूरह अल-हुमज़ा (झूठा आरोप लगाने वाला) سُورَة الهمزة

सूरह अल-हुमज़ा क़ुरआन की एकसौ चौथी सूरह है, जो मक्का में अवतरित हुई। इसमें 9 आयतें हैं और इसमें बुरे व्यवहार, झूठे आरोप और किसी के बारे में बुरा कहने के परिणामों के बारे में चर्चा की गई है।

अनुवाद: सूरह अल-हुमज़ा (निंदा करने वाला) سُورَة الهمزة

بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ

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अल्लाह के नाम से जो बड़ा कृपालु और अत्यन्त दयावान हैं।

وَيْلٌ لِكُلِّ هُمَزَةٍ لُمَزَةٍ ١ i

तबाही है हर कचो के लगानेवाले, ऐब निकालनेवाले के लिए, (१)

الَّذِي جَمَعَ مَالًا وَعَدَّدَهُ ٢ i

जो माल इकट्ठा करता और उसे गिनता रहा (२)

يَحْسَبُ أَنَّ مَالَهُ أَخْلَدَهُ ٣ i

समझता है कि उसके माल ने उसे अमर कर दिया (३)

كَلَّا ۖ لَيُنْبَذَنَّ فِي الْحُطَمَةِ ٤ i

कदापि नहीं, वह चूर-चूर कर देनेवाली में फेंक दिया जाएगा, (४)

وَمَا أَدْرَاكَ مَا الْحُطَمَةُ ٥ i

और तुम्हें क्या मालूम कि वह चूर-चूर कर देनेवाली क्या है? (५)

نَارُ اللَّهِ الْمُوقَدَةُ ٦ i

वह अल्लाह की दहकाई हुई आग है, (६)

الَّتِي تَطَّلِعُ عَلَى الْأَفْئِدَةِ ٧ i

जो झाँक लेती है दिलों को (७)

إِنَّهَا عَلَيْهِمْ مُؤْصَدَةٌ ٨ i

वह उनपर ढाँककर बन्द कर दी गई होगी, (८)

فِي عَمَدٍ مُمَدَّدَةٍ ٩ i

लम्बे-लम्बे स्तम्भों में (९)