सूरह अत-तकासुर (प्रतिस्पर्धा) سُورَة التكاثر

सूरह अत-तकासुर क़ुरआन की एकसौ दूसरी सूरह है, जो मक्का में अवतरित हुई। इसमें 8 आयतें हैं और इसमें धन, सम्पत्ति और दुनिया की दौड़ के प्रति इंसान की लालच पर चर्चा की गई है।

अनुवाद: सूरह अत-तकासुर (संपत्ति में प्रतिस्पर्धा) سُورَة التكاثر

بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ

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अल्लाह के नाम से जो बड़ा कृपालु और अत्यन्त दयावान हैं।

أَلْهَاكُمُ التَّكَاثُرُ ١ i

तुम्हें एक-दूसरे के मुक़ाबले में बहुतायत के प्रदर्शन और घमंड ने ग़फ़़लत में डाल रखा है, (१)

حَتَّىٰ زُرْتُمُ الْمَقَابِرَ ٢ i

यहाँ तक कि तुम क़ब्रिस्तानों में पहुँच गए (२)

كَلَّا سَوْفَ تَعْلَمُونَ ٣ i

कुछ नहीं, तुम शीघ्र ही जान लोगे (३)

ثُمَّ كَلَّا سَوْفَ تَعْلَمُونَ ٤ i

फिर, कुछ नहीं, तुम्हें शीघ्र ही मालूम हो जाएगा - (४)

كَلَّا لَوْ تَعْلَمُونَ عِلْمَ الْيَقِينِ ٥ i

कुछ नहीं, अगर तुम विश्वसनीय ज्ञान के रूप में जान लो! (तो तुम धन-दौलत के पुजारी न बनो) - (५)

لَتَرَوُنَّ الْجَحِيمَ ٦ i

अवश्य ही तुम भड़कती आग से दो-चार होगे (६)

ثُمَّ لَتَرَوُنَّهَا عَيْنَ الْيَقِينِ ٧ i

फिर सुनो, उसे अवश्य देखोगे इस दशा में कि वह यथावत विश्वास होगा (७)

ثُمَّ لَتُسْأَلُنَّ يَوْمَئِذٍ عَنِ النَّعِيمِ ٨ i

फिर निश्चय ही उस दिन तुमसे नेमतों के बारे में पूछा जाएगा (८)